आज के भौतिकतावादी युग में समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग विशेषकर युवा वर्ग धर्म में रूचि होते हुए भी समयाभाव का बहाना बनाकर पूजा-पाठ में रूचि नहीं लेता है,...
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शिव-शरणागति
- वाणी की शिव-शरणागति - हे मेरी प्यारी वाणी ! क्या अब भी बनी रहेगी अयानी ? अब तो हे सुभगे ! बन जा सयानी ! त्याग दे विषय-भोगों-की विषमयी...
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शिव- पार्वती सम्वाद
जैसा कि सभी जानते हैं, कि वेद, पुराण एवं शास्त्र हमारी प्राचीन धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर है जिसमें अथाह ज्ञान का भंडार समाहित है। उसी धरोहर में से उपरोक्त शिव-पार्वती...
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प्रश्न-1. सृष्टि की उत्पत्ति के वर्णन में विभिन्नता...
प्रश्न-1. सृष्टि की उत्पत्ति के वर्णन में विभिन्नता क्यों पाई जाती है। शैव पुराणों में शिव से, वैष्णव पुराणों में विष्णु, कृष्ण या राम से और शाक्त पुराणों में देवी...
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इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के उपाय
(शिवपुराण के अनुसार) मनुष्य के जीवन में अनेक समस्यायें हैं जिन्हें दूर करने के लिये वह भिन्न-भिन्न उपाय करता रहता है जैसे धर्म गुरूओं, मुल्ला-मौलवियों, ज्योतिशियों, मठ-मन्दिरों के चक्कर लगाता...
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मेरा आध्यात्मिक दृष्टिकोण
सृष्टि मैं ईश्वर एक ही है, अनेक नहीं हो सकते। वह कण-कण में व्याप्त है। यदि दूसरा ईश्वर है तो अनेक उसके लिए दूसरा संसार चाहिए, व्याप्त होने के लिए।...
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आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी
वर्तमान युग में मनुष्य को धर्म के विषय में, ईष्ट के विषय में, अपने कल्याण के रास्ते के विषय में अनेक भ्रान्तियाँ हैं, और उन भ्रान्तियों को मिटाने के लिये...
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प्रश्न-2. भगवान शिव की पूजा सब जगह मूर्ति...
उत्तर-2. एकमात्र भगवान् शिव ही ब्रह्मरूप होने के कारण ‘‘निष्कल‘‘ (निराकार) कहे गये हैं। रूपवान होने के कारण उन्हें ‘‘सकल‘‘ भी कहा गया है। इसलिये वे सकल और निष्कल दोनों...
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