वर्तमान युग में मनुष्य को धर्म के विषय में, ईष्ट के विषय में, अपने कल्याण के रास्ते के विषय में अनेक भ्रान्तियाँ हैं, और उन भ्रान्तियों को मिटाने के लिये वह महर्षियों, साधु तथा योगियों के चक्कर लगाता है। यद्धपि उनके भिन्न-भिन्न मत उसे और अधिक भ्रान्तिग्रस्त करते हैं। तथापि एक सामान्य मनुष्य के मन में उठने वाले आध्यात्मिक प्रश्नों का सही एवं शास्त्रोक्त उत्तर निकाला जाना आवश्यक है। जिससे आप अपने प्रश्नों का सही-सही उत्तर पाकर धर्म के नाम पर फैली हुई भ्रान्तियों के मध्य एक निश्चित मार्ग का चयन कर सकें।
यहां कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर दिये जा रहे हैं, यह सभी उत्तर भगवान् शिव परक पुराणों एवं उपनिषदों पर आधारित हैं, जैसे- शिवपुराण, लिंगपुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्मवेवर्त पुराण, श्वेताश्वरोपनिषद, जबालोपनिषद, तैत्तिरीय उपनिषद आदि-आदि। यद्धपि चारों वेद, अठारह पुराण, छः शास्त्र एवं समस्त उपनिषदों में भगवान् सदाशिव को साक्षात् ब्रह्मस्वरूप ही निरूपित किया गया है। तथापि आपके प्रश्नों का उत्तर मूल-मूल शिव परक शास्त्रों पर अनुसंधान उपरान्त सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, किन्तु शास्त्रों में लिखित मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
यदि आपके मन में कोई प्रश्न हो तो आप अवश्य पूछ सकते हैं।