उत्तर-2. एकमात्र भगवान् शिव ही ब्रह्मरूप होने के कारण ‘‘निष्कल‘‘ (निराकार) कहे गये हैं। रूपवान होने के कारण उन्हें ‘‘सकल‘‘ भी कहा गया है। इसलिये वे सकल और निष्कल दोनों हैं। शिव के निष्कल निराकार होने के कारण ही उनकी पूजा का आधारभूत लिंग भी निराकार ही प्राप्त हुआ है। अर्थात् शिवलिंग शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक है। इसी तरह शिव के सकल या साकार होने के कारण उनकी पूजा का आधारभूत विग्रह साकार प्राप्त होता है। अर्थात् शिव का साकार विग्रह उनके साकार स्वरूप का प्रतीक होता है। सकल और अकल (समस्त अंग आकार सहित साकार और अंग आकार से सर्वथा रहित निराकार) रूप होने से ही वे ‘‘ब्रह्म‘‘ शब्द से कहे जाने वाले परमात्मा हैं। यही कारण है कि सब लोग लिंग (निराकार) और मूर्ति (साकार) दोनों में ही सदा भगवान् शिव की पूजा करते हैं। शिव से भिन्न जो दूसरे देवी-देवता हैं, वे साक्षात् ब्रह्म नहीं हैं। इसलिये कहीं भी उनके लिये निराकार लिंग नहीं उपलब्ध होता।

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